जीवन का मकसद क्या है ? Waht is purpose of life?
आजकी भाग दौड़ की जिंदगी में शायद ही कोई इस बारे में सोचता है की इसके जीवन का मकसद क्या है ?आखिर क्यों वो संसार में आया है? हर मनुष्य की अंतरात्मा उसे हमेशा इन सवालों के जवाब ढूंढ़ने के लिए प्रेरित करती रहती है लकिन मनुष्य अपनी अंतरात्मा की आवाज को अनसुनी करके इन सवालों को नजरअंदाज कर देता है और अपने जीवन की अभिलाषाओं को पूरा करने में और भोग विलास की जिंदगी बिताने में अपनी सारी उम्र बिता देता है।आइए विस्तार से जानने की कोशिश करतें है की कैसे हम अपनी अन्तरात्मा को नजर अंदाज करते है।
अपनी अन्तरात्मा की आवाज को पहचानें
जब एक बच्चा पैदा होता है तब उसकी बौद्धिक स्तर बहुत कम होती है उसे इस संसार के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं होता है जैसे जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है उसकी बौद्धिक स्तर भी विकसित होने लगती है और यही वो समय होता है जब एक बच्चे के मन में तरह तरह के प्रश्न उठने लगता है जैसे इस संसार को किसने बनाया उसे किसने बनाया ?उसके इस दुनिया में आने का मकसद वगैरह वगैरह , यही उसकी अंतरात्मा की आवाज होती है जो उसे इन सरे सवालो के जवाब ढूंढने के लये उसे प्रेरित करती है परन्तु आज के आधुनिक युग में तरह तरह के मनोरंजन के साधन उपलब्ध है जिसके द्वारा बच्चे अपना मनोरंजन करके अपने को इस दुनिया में इतना व्यस्त कर लेता है की उसकी अंतरात्मा की आवाज सुनने का कभी अवसर ही नहीं मिलता और अगर कभी अवसर मिलता भी है तो उसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लेता है क्योकि उसका सारा ध्यान इस संसार के आनंद लेने में लगा रहता है और फिर जैसे जैसे वह युवा अवस्था में पहुँचता है उसकी संसार की और खिचाव और भी अधिक बढ़ने लगती है जैसे नौकरी की चिंता,शादी की चिंता व् और भी अन्य अन्य जीवन से जुडी संमस्याऐं उसे उसे इस संसार से जोड़े रखती हैं और इस तरह से एक इंसान का पूरा जीवन बिना अपने अंतरात्माँ की आवाज को जाने अनजाने में नज़रअंदाज करते करते इसी तरह से बीत जाता है
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