धर्म की परिभाषा क्या है?
आज हमारे बीच धर्म एक बहुत संवेदनशील विषय है
पूरे देश में धर्म के नाम पर झगड़े बैर आक्रोश अशांति फैली है लेकिन ताजुब की बात यह है कि धर्म के नाम पर अशांति फैलाने वालों को धर्म का अर्थ ही नहीं पता
धर्म का अर्थ से अनजान
आज किसी भी इंसान से पूछा जाए कि आपका किस धर्म को मानने वाले हैं तो अक्सर लोगों को जवाब होता है कोई कहेगा कि मैं हिंदू हूँ कोई कहेगा मुस्लिम हूँ कोई अपने को सिक्ख बताएगा, और कोई ईसाई, बौद्ध,जैन, पारसी इत्यादि इत्यादि ।धर्म और मजहब में अन्तर
असल में धर्म का वास्तविक अर्थ तो कुछ और ही है ये सभी तो इंसान के खुद के प्रयासों से बनाए गए मजहब हैं और इन मजहबों से मानव को मात्र एक समुदाय के रूप में प्रस्तुत करने के अलावा और कुछ नहीं लाभ नहीं हो सकता हैमजहब के नुकसान
आज हर इंसान अपने मजहब को अपना धर्म समझकर एक दूसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं कोई धर्म के नाम पर आतंक फैला रहा है कोई धर्म के नाम पर दंगा फसाद कर रहा है कुछ लोग धर्म के नाम पर लोगों से धन लूट रहे हैं और कोई धर्म के नाम पर अशांति फैला रहा है ।अगर आप इन लोगों में से किसी से भी धर्म की परिभाषा पूछोगे तो शायद ही कोई धर्म की सही परिभाषा बता पाए। अब सवाल यह है कि अगर मजहब से इंसान को इतनी समस्याएं उत्पन्न होती हैं तो फिर इन सभी मजहबों की जरूरत क्यों है?धर्म की वास्तविक परिभाषा
मनुष्य का अपने संपूर्ण मन संपूर्ण हृदय और संपूर्ण बुद्धि से अपने सृष्टिकर्ता को पहचानना और उसका अनुसरण करना ही सच्चा और वास्तविक धर्म है।
जब कोई व्यक्ति अपने सृजनहार का अनुसरण अपनी सारे मन प्राण और बुद्धि से करता है तो वह अपने भीतर छुपे मानवीय गुणों को अपने आप प्रकट करने लग जातें हैं।
जब कोई व्यक्ति अपने सृजनहार का अनुसरण अपनी सारे मन प्राण और बुद्धि से करता है तो वह अपने भीतर छुपे मानवीय गुणों को अपने आप प्रकट करने लग जातें हैं।
Very nice
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